Header Ads Widget

Ticker

6/recent/ticker-posts

हेली म्हारी चालो गुराजी रा देस / heli mhari chalo guraji ra desh

 चालो गुराजी रा देस


साखी


 1.प्रेम बिना नहीं भेष कछु  नाहक करे स्वाद । 

प्रेम वाद जब तक नहीं  सबे भेष बरबाद ॥


2.सागर उमड़ा प्रेम का , खेवटियाँ कोई एक ।

वस्तु अगोचर मिल गई , मन नहीं आवे आन । 


भजन


 1.हेली म्हारी चालो गुराजी रा देस , बतई दाँ थारे भाव नगरी ।

 तम तो चालो मालिक सा का देश , बतई दाँ थारे प्रेम नगरी॥


1. हेली म्हारी हल्दी पतंगीयारो रंग 

उड़ि जावे हेली काल की घड़ी 

काल की घड़ी , हेली काल की घड़ी । 

तम तो चालो मालिक सा का देस ,बतई दाँ थारे प्रेम नगरी॥


2 . हेली म्हारी काची कलियाँ , कचनार ,

 कारीगर काया अजब बनी , अजब बणी हो या में ऐब घणी ।।

तम तो चालो मालिक सा का देश , बतई दाँ थारे प्रेम नगरी॥


3. हेली म्हारी मत कर जो काया को अहंकार , 

काया थारी चामकी बनी ,  चाम से बनी हो जामें ऐब घणी ॥

तम तो चालो मालिक सा का देश , बतई दाँ थारे प्रेम नगरी॥


 4. हेली म्हारी बोल्या भवानीनाथ

भजन से म्हारी काया  सुधरी 

काया सुधरी हेली म्हारी ऐब बिशरी।।

तम तो चालो मालिक सा का देश , बतई दाँ थारे प्रेम नगरी॥


 संक्षिप्त भावार्थ - सदगुरु का , इश्वर का , देशप्रेम का , अगम का देश का नगरी का अहकार मत कर पता नहीं यह रंग काल के समय उड़ जाएगा । काया के ऐब  बुराई को प्रेम सदभाव से दूर किया जा सकता है , जो सुधार का प्रेम  सदभाव का है ।


आपको भजन अच्छा लगा हो या कोई त्रुटि दिखाई देती हो तो कमेंट करके जरूर बताये और blog को follow जरूर करे और आपको लिखित भजन एवं वीडियो social site पर भी मिल जायेंगे तो आप हमें वहाँ भी follow कर सकते है। 


YOU TUBE    -     भजन वीडियो

FACEBOOK   -     FOLLOW

INSTAGRAM  -    FOLLOW

TELEGRAM    -     JOIN

TELEGRAM  GROUP  -  JOIN

TWITTER       -     FOLLOW




एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ