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ये उलट वेद की वाणी

' ये उलट वेद की वाणी '


साखी - धरती तो रोटी भई , और कुबुद्धि काग लिए जाय

वाद वृक्ष की डाल पे , और तंहा बैठ के खाये।


भजन


टेक - ये उलटे वेद की बाणी रे , कोई ज्ञानी करो विचार

ये उलटे वेद की बाणी। 


1- ये अंबर में अमृत का कुँवा बिन मुख पान करे एक सुवा

वहाँ काली नागण खेले जुआ , आठ मरेगा नौ धार

ये उलट वेद की वाणी

ये उलटे वेद की बाणी रे , कोई ज्ञानी करो विचार

ये उलटे वेद की बाणी। 


2- ये अंबर में एक पेड़ बिरछता , वहाँ झूले निर्गुण का ढंका

जिनकी जड़ का पता नि पावे , फेरी मरेगा संसार

ये उलट वेद की वाणी

ये उलटे वेद की बाणी रे , कोई ज्ञानी करो विचार

ये उलटे वेद की बाणी।  


3- ये तीस मारके तेरा जितिया , हाट भरा नर रई ग्या रीता

गुरु गंगा दास ने ऐसी ठाणी , नैया लगा देना पार

ये उलट वेद की वाणी

ये उलटे वेद की बाणी रे , कोई ज्ञानी करो विचार

ये उलटे वेद की बाणी। 


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