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राम आत्मा राम चन्द्रजी // ram aatma ram chandraji

 राम आत्मा राम चन्द्रजी सुमति जानकी सीता है

अमरदास जी कहते है कि उस रावण को मन रूपी रावण जो हर इंसान के अंतर में है । उसके ऊपर किस तरह से विजय पा सकते है, उन्होंने अपना निज अनुभव इस शरीर के ऊपर घटित करके एहसास किया । अपने निज अनुभव को आप सबके बीच रखा । 


दोहा -1-  राम नाम की लूट है 

लूट सके तो लूट ।

अंत काल पछतायेगा 

जब प्राण जाएगा छूट ।।


2- राम किसी को मारे नही 

सबके दाता राम ।

आप ही आप मर जायेगा 

कर कर खोटे काम ।।


ख्याल


मुखड़ा- राम आत्मा राम चन्द्रजी

सुमति जानकी सीता है 

मन रावण को मार जिन्होंने

तन का दशेरा जीता है ।


1- बनी लोभ लालच की लंका

भवसागर की खाई है 

भवर घोर भी उठे इसी में

पार किसी ने ना पाई ।

मन रावण और माया मंदोदरी

सुंदर रूप सवाई है

नौ नाड़ी बहोत्तर कोठा

इसमें फिरे दुहाई है ।

कायागढ के बीच गणपति

हरदम रहे नचिता है

मन रावण को मार जिन्होंने

तन का दशेरा जीता है ।


राम आत्मा राम चन्द्रजी

सुमति जानकी सीता है 

मन रावण को मार जिन्होंने

तन का दशेरा जीता है ।


2- मन को समझो मेघनाद

मोह को समझो अहिरावण

काम को समझो कुम्भकरण

क्रोध को समझो खरदूषण ।

तृष्णा तो एक नार असुर्ती

जमकातर समझो गुणीजन

कभी पेट इसका नही भरता

चाहे करले जितना भोजन ।

दुर्मति तो है नार सूर्पणखा

इसका पड़ा फजीता है

मन रावण को मार जिन्होंने

तन का दशेरा जीता है ।


राम आत्मा राम चन्द्रजी

सुमति जानकी सीता है 

मन रावण को मार जिन्होंने

तन का दशेरा जीता है ।


3- शील तो सुग्रीव पिंड में

क्षमा को समझो तुम लक्षमण

विवेक दो नल निल इसीमें

विचार कर करलो दर्शन ।

हनुमान संतोष जिन्होंने ने

असुर सेकड़ो डारे हान

सब लंका का भेद बताया

कोल कोल कर अपना तन ।

यही आपकी रामायण है

यही भागवद गीता है

मन रावण को मार जिन्होंने

तन का दशेरा जीता है ।


राम आत्मा राम चन्द्रजी

सुमति जानकी सीता है 

मन रावण को मार जिन्होंने

तन का दशेरा जीता है ।


4- ध्यान धनुष और ज्ञान बाण जब

राम चन्द्रजी ने मारे

पांच पच्चीस असुर लंका में

कुंभकरण रावण मारे ।

वही राम रमता घट घट में

दशो उसी के है अवतार

निराकार साकार इसीमे

समझलो समझन हार ।

अमरदास अधीन राम रस

भर भर प्याला पिता है

मन रावण को मार जिन्होंने

तन का दशेरा जीता है ।


राम आत्मा राम चन्द्रजी

सुमति जानकी सीता है 

मन रावण को मार जिन्होंने

तन का दशेरा जीता है ।


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राम आत्मा राम चन्द्रजी सुमति जानकी सीता है

राम आत्मा राम चन्द्रजी




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