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भेद नही कोई पाता हरी थारी माया का पार न पाता |
दोहा - 1- भेदी जाने सर्व गुण
अनभेदी क्या जाण
के जाणे गुरु पारखी
के जिन लागा बाण ।
भजन
मुखड़ा - भेद नही कोई पाता हरी थारी
माया का पार न पाता ।
1- पल में राजा करे भिखारी
महा प्रलय कर देता
आग लगा कर बाग लगा दे
पल में हरा हो जाता ।
हरी थारी माया का पार न पाता
भेद नही कोई पाता हरी थारी
माया का पार न पाता ।
2- अर्थवेद कई ग्रन्थ रचिया
बाच बाच तक जाता
साधु संत महिमा गावे
गाय गाय तक जाता ।
हरी थारी माया का पार न पाता
भेद नही कोई पाता हरी थारी
माया का पार न पाता ।
3- भवसागर की भंवर धार में
गाफिल गोता खाता
सब जग डूब रहा भवजल में
कोई कोई मुक्ति पाता
हरी थारी माया का पार न पाता
भेद नही कोई पाता हरी थारी
माया का पार न पाता ।
4- सदाचार सुकृत जग माही
सोई अमर हो जाता
जीवनराम यह पुष्प आनन्द का
मगन होय बरसाता
हरी थारी माया का पार न पाता
भेद नही कोई पाता हरी थारी
माया का पार न पाता ।
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