Header Ads Widget

Ticker

6/recent/ticker-posts

भेद नही कोई पाता हरी थारी माया का पार न पाता

 

भेद नही कोई पाता हरी थारी माया का पार न पाता
भेद नही कोई पाता हरी थारी माया का पार न पाता


दोहा - 1- भेदी जाने सर्व गुण

        अनभेदी क्या जाण

         के जाणे गुरु पारखी

          के जिन लागा बाण ।


भजन


मुखड़ा - भेद नही कोई पाता हरी थारी

माया का पार न पाता ।


1- पल में राजा करे भिखारी

महा प्रलय कर देता 

आग लगा कर बाग लगा दे

पल में हरा हो जाता ।

हरी थारी माया का पार न पाता 

भेद नही कोई पाता हरी थारी

माया का पार न पाता ।


2- अर्थवेद कई ग्रन्थ रचिया

बाच बाच तक जाता 

साधु संत महिमा गावे

गाय गाय तक जाता ।

हरी थारी माया का पार न पाता 

भेद नही कोई पाता हरी थारी

माया का पार न पाता ।


3- भवसागर की भंवर धार में

गाफिल गोता खाता 

सब जग डूब रहा भवजल में

कोई कोई मुक्ति पाता

हरी थारी माया का पार न पाता 

भेद नही कोई पाता हरी थारी

माया का पार न पाता ।


4- सदाचार सुकृत जग माही

सोई अमर हो जाता

जीवनराम यह पुष्प आनन्द का

मगन होय बरसाता

हरी थारी माया का पार न पाता 

भेद नही कोई पाता हरी थारी

माया का पार न पाता ।


यह भी पढ़े - हरी दरजी का मरम न पाया

                 कुछ लेना ना देना मगन रहना


आपको भजन अच्छा लगा हो या कोई त्रुटि दिखाई देती हो तो कमेंट करके जरूर बताये और blog को follow जरूर करे और आपको लिखित भजन एवं वीडियो social site पर भी मिल जायेंगे तो आप हमें वहाँ भी follow कर सकते है। 


YOU TUBE    -     भजन वीडियो

FACEBOOK   -     FOLLOW

INSTAGRAM  -    FOLLOW

TELEGRAM    -     JOIN

TELEGRAM  GROUP  -  JOIN

TWITTER       -     FOLLOW




एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ