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हरी दरजी का मरम ना पाया / hari darji ka maram na paya




दोहा - दिल का मरहमी ना मिला

जो मिला सो गरजी

कहे कबीर आसमान फटा

क्यों कर सीवे दरजी ।


टेक - हरी दरजी का मरम ना पाया

जिन यह चोला अजब बनाया ।


1 - पानी की सुई पवन का धागा

आठ मास दस सीवन लागा ।


2- पाँच तत्व की गुदड़ी बनाई

चन्दा सूरज दोई थेकल्डी लगाई ।


3- जतन जतन कर मुखड़ा बनाया

जामे हीरा रतन जड़वाया ।


4- आप ही सीवे आप बनावे

प्राण पुरुष को लई पेहरावे ।


5- कहे कबीर सोई जन मेरा

जो यह चोला को करे निवेरा ।


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