बांऊ अगाड़ी म्हारा वासा
साखी
1- कबीर वहां तो एक है , पर्दा दिया भेख
भरम - करम सब दूर करो , सबहीं माहि अलेख ।
2- पिण्ड प्राण तासू के नाहीं , दम देही नहीं सिन ।
नाद बिन्द आवे नहीं , पाँच - पच्चीस न तीन ।।
भजन
टेक- बांऊ अगाडी म्हारा वासा धरमी
मैं तो सायब ने समज कर नर क्यों
पच - पच मर गया कासा।।
बांऊ अगाडी म्हारा वासा धरमी ।।
1 . चवदे लोक बसे जम चौदह जहां लग काल निवासा ।
जोती सरुपी निरंजन देवा अखे जोत के पासा ॥
बांऊ अगाडी म्हारा वासा धरमी ।।
2 . शेषसुन्न पर समरथ किया अखे सुन्न परकासा ।
मेरा देश में रवि ना चंदा नहीं धरण आकाश ॥
बांऊ अगाडी म्हारा वासा धरमी ।।
3 . मेरे शेष देश म्हारो सदा फुलत है बरसे सबद फुवासा ।
अमृत भोजन हंस करत है बैठ पुरुष के पासा ।।
बांऊ अगाडी म्हारा वासा धरमी ।।
4 . अमी कलश ज्यूं आप पुरुष है आपेई आप एक रासा ।
कहै कबीर सुनो भाई साधू छोड़े जगत की आसा ॥
बांऊ अगाडी म्हारा वासा धरमी ।।
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