अखे का माने कोण संदेवा
साखी
1- देखन सरीकी बात है , केहन सरीकी नाहीं ।
अद्भूत खेल देखिके , समझ रहो मन माहीं ।
भजन
टेक- अखे का माने कोण संदेवा ।
गुप्त भेद ज्यां ने प्रगट सुणाया सब को होत उजेवा।।
अखे का माने कोण संदेवा ।
1 . बिन पग निरत करां बिन बाजा बिन जिबिया से गवेवा
बिन नेणा से सब जग देखा सो सुख काहे को कवेवा ।।
अखे का माने कोण संदेवा ।
2 . ब्रह्मा , विष्णु और महेश्वर तीन लोक भरमेवा ।
आवत जावत बहुत दिन बीता , जम का ग्राह गरेवा ।
अखे का माने कोण संदेवा ।
3 . ज्योति स्वरूपी निरंजन देवा वो भी ध्यान धरेवा ।
चौवदा लोक ताहिं करतम करता , वो भी नांय पुगेवा।।
अखे का माने कोण संदेवा ।
4 . बिन धरणी का देश हमारा , रवि चन्द नहीं उगेवा ।
माणक भंवर छीत्तीसू शोभा , हंसा गिवण करेवा ॥
अखे का माने कोण संदेवा ।
5 . बिन परवाण हंस नहीं पूगे , करोड़ उपाय करेवा ।
कहै कबीर वचन गाहि डोरी , अमर लोक पूगेवा ॥
अखे का माने कोण संदेवा ।
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