भजो गुराजी को नाम
साखी
1- नाम जपे अनुराग से सब दुःख डारे खोई ।
जो विश्वासी गुरू मिले , लोहा से कंचन होई ।।
2- जब जागे तब नाम जपे , सोवत नाम संभाल
उठत बैठत आत्मा , चलत नाम चितलाय।।
भजन
टेक- भजो गुराजी को नाम बड़ो सुखकारी
परम सुखकारी
यो दुनिया को निर्माण घणो दुःख भारी।।
1- छल कपट की बाग लगी अती ( घणी ) भारी
काम क्रोध की किरण चमक रही सारी ।।
भजो गुराजी को नाम बड़ो सुखकारी
परम सुखकारी
यो दुनिया को निर्माण घणो दुःख भारी।।
2- लोभ मोह की नदी बेवे घणी भारी
किस विधि उतरो पार , डूबोगा मझधारी ॥
भजो गुराजी को नाम बड़ो सुखकारी
परम सुखकारी
यो दुनिया को निर्माण घणो दुःख भारी।।
3- उतरना चाहो पार करि लो यारी गुराजी से यारी
भवबंधन की डोर काट देगा सारी ।।
भजो गुराजी को नाम बड़ो सुखकारी
परम सुखकारी
यो दुनिया को निर्माण घणो दुःख भारी।।
4- कहते दौजे राम हकीकत सारी , हकीकत सारी
पद गावे अमीरो राम चरण बलिहारी ॥
भजो गुराजी को नाम बड़ो सुखकारी
परम सुखकारी
यो दुनिया को निर्माण घणो दुःख भारी।।
मालवी शब्द
घणो भारी - बहुत भारी ।
मझधारी - बीच धार
यारी - लगायव , श्रद्धा
संक्षिप्त भावार्थ- इस पद में संतों ने मानव मात्र की यारी सतनाम , सतकाम से हो जो आत्मीय शांति व सुख का घर है व काम , क्रोध , लोभ , मोह , अहं का जितना परित्याग हो सके वो जीवन की हकीकत से जुड़ने का संदेश दिया है ।
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