साखी -
1- अलख ईलाही एक है नाम धराया दोय ।
कहै कबीर दो नाम सुनि भरम पड़ो मत कोय ।।
2- राम रहीमा एक है , नाम धराया दोय ।
अंतर टाटी भरम की , यासे सूझे दोय।।.
भजन
मेरे हद की सरहदे साहेब आके जरा मिटा दो ।
मेरे हद की सरहदे मेरे मौला आ के तुम मिटा दो ।
माया नगर में गुम गया हूँ ( जरा ) रोशनी दिखा दो ।
गुम गया हूँ इस नगरी में ( अब ) रोशनी दिखा दो ।
1- तड़पा हूँ कबसे मैं तो , खुद ही की तारीकी में ।
( अन्धेरा ) वेहद का नूर फैला , बस तेरी आशिकी में ।
तुम जानते हो मुझको , आगोश में छुपा लो ।
मेरी हद की सरहदे साहेब / मौला आ के जरा मिटा दो ।
2- ढूंढा है मैंने तुमको , पूजा के दायरों में ।
तुम साथ ही हो मेरे , देखू जो आईने में
भटका हुआ है राही , मंजिल जरा दिखा दो
मेरे हद की सरहदे साहेब मौला आके जरा मिटा दो ।
3- मेरी आरजू तुम्ही हो , मेरी आबरू तुम्ही हो ।
मेरी दिल की धड़कनों में साहिब ( बस ) जुस्तजू तुम्ही हो
अब खलबली इतनी , अब तो मुझे खला दो ( एकान्त )
ये अर्ज है कमल की साहिब , दिल में मेरे तुम बसलो
हद की सरहदे मेरे मौला आके जरा मिटा दो ।
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