केता जाजो जी भला भाई
साखी
1- बिरह अग्नि तन मन जलाये लागि रहा तन जीव ।
केवा जाणे बिरहणी कै जिन भेटा पीव।।
भजन
टेक- कैता जाजो जी भला भाई
कैता जाजो जी ।
सासरिया का हाल पीहर में
केता जाजो जी।।
1- सासरिया में दुःख घणो है
सासु नणद सतावे हो म्हाने
जनम मरण और गरभवास रो
दुख मौसे सह्यो न जावे ।|
कैता जाजो जी भला भाई
कैता जाजो जी ।
सासरिया का हाल पीहर में
केता जाजो जी।।
2- देवरियो म्हारो घणो हटीलो
म्हाने घणो सतावे ओ साहेब
कुड़ कप्टारी बातां बोले
मौसे सह्यो न जावे ॥
कैता जाजो जी भला भाई
कैता जाजो जी ।
सासरिया का हाल पीहर में
केता जाजो जी।।
3- सासरियो संसार छोड़कर
पीयर सत्संग भावे ।
पीहरिया में यूं जई कीजो
बेगा लेवा म्हारे आवे ॥
कैता जाजो जी भला भाई
कैता जाजो जी ।
सासरिया का हाल पीहर में
केता जाजो जी।।
4- बार - बार हूँ करूँ विनती
अरज सुण लीजो हो दयालु
साहेब कबीर मुक्ति के दाता
बेड़ा पार लगाजो हो साहेब ।।
कैता जाजो जी भला भाई
कैता जाजो जी ।
सासरिया का हाल पीहर में
केता जाजो जी।।
मालवी शब्द
सहयो - सहना
मौसे - मुझसे
हटीलो - हट करना , परेशान करना
कुड़ कपटां - कपटपूर्ण बात , बुरी बात
कीजो - कहना
बेगा - जल्दी
अरज- विनती , प्रार्थना , निवेदन.
संक्षिप्त भावार्थ - इस पद में सतसंग व जगत संग को निरुपित किया है जहाँ आसक्ति पंच विषयों से पलटकर शांत एकांत व अनासक्त की ओर संकेत किया है इस भौतिका में रहकर ।
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