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भीलट देव सम्पूर्ण इतिहास / bhilat dev all history

भीलट देव सम्पूर्ण इतिहास / bhilat dev all history
भीलट देव सम्पूर्ण इतिहास / bhilat dev all history 


भीलट देव का जन्म - 

मान्यताओं के अनुसार भीलट देव का जन्म करीब 857 वर्ष पूर्व मध्य प्रदेश के हरदा जिले की माचक नदी के किनारे बसे रोलगांव पाटन नामक गाँव मे हुआ था।

भीलट देव के माता पिता - 

भीलट देव का जन्म एक गवली परिवार में हुआ था । उनकी माता का नाम मेदा गोलन और पिता का नाम देव रेहलन था । 

माता मेदा गोलन एवं पिता देव रेहलन दोनो भगवान शिव के परम भक्त थे । दोनो के विवाह को बहुत समय हो गया था, लेकिन उनको कोई संतान नही थी। 

उन दोनों की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव व माता पार्वती के आशीर्वाद से उन्हें एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई, साथ ही भगवान शिव व माता पार्वती ने मेदा गोलन व देव रेहलन से वचन लिया कि वे दोनों प्रतिदिन उनके घर दूध और दही मांगने आएंगे। यदि आपने हमे नही पेहचाना तो हम बालक को उठाकर ले जाएंगे।  

भगवान शिव का बच्चे को लेकर जाना - 

अब ऐसा प्रतिदिन होने लगा, एक दिन भीलट देव के माता पिता बालक के लालन पालन में इतना व्यस्त हो गए कि वे भगवान को दिया वचन भूल गये। तभी भगवान शिव ने बालक को उठाया और पालने में अपने गले का नाग रखकर बालक को चौरागढ़ ( पचमढ़ी ) ले गये। 

इधर बालक की जगह नाग को अपने पालने में देखकर माता मेदा गोलन और पिता रेहलन जी दोनो बेसुध हो गये। उन्होंने वापस भगवान शिव व माता पार्वती की तपस्या की, शिव - पार्वती ने कहा की आपने वचन के अनुसार हमे पहचाना नही, अब हम बालक की शिक्षा, दीक्षा करेंगे। और पालने में जो नाग हमने छोड़ा है उसकी पूजा दोनो रूपो में होगी। नाग रूप के और भीलट देव के रूप में। 

भीलट देव पालन पोषण, विवाह - 

पालन पोषण के बाद भगवान ने बालक का विवाह बंगाल में राजा गन्धी की बेटी राजल से उनका विवाह हुआ था । बाद में उन्हें नांगलवाड़ी का राज मिला। बड़वानी जिले की राजपुर तहसील में नागलवाड़ी गांव में बाबा भीलट देव का शिखरधाम है। यह मंदिर सैकड़ो वर्षो से यहाँ स्थापित है और नांगलवाड़ी शिखरधाम के नाम से प्रसिद्ध है । 

भीलट देव की शिक्षा दीक्षा -

वहाँ ख्यात जादूगरों का हूर बंगाल के जंगलों में सामना कर उन परिस्थितियों का अंत किया । गंगा तेलन जादूगर का अंत किया , बंगाल के राजा गंधी की बेटी राजल से विवाह कर भगवान शिव के समक्ष उपस्थित हुये। भोलेनाथ पार्वती ने कहा कि अपने माता-पिता के पास जाओ वहां से नागलवाड़ी के पास सतपुड़ा शिखर चोटी पर विराजो व लोगों का कल्याण करना। तुम सदैव भीलट पर नाग देवता के रूप में पूजे जाओगे। 

तब से भीलट बाबा नागलवाड़ी से 4 किमी की दूरी पर सतपुड़ा के पर्वत तल पर शिखर धाम पर मौजूद हैं। बाबा भीलट देव ने लाखों भक्तों की मनोकामना पूर्ण की है।


भीलट देव सम्पूर्ण इतिहास
भीलट देव सम्पूर्ण इतिहास / bhilat dev all history 


नागलवाड़ी भीलट देव मंदिर -

सतपुड़़ा की हरी भरी वादियों में बड़वानी जिले की राजपुर तहसील के नागलवाड़ी गांव में भीलट देव शिखरधाम है। ये सैकड़ों वर्षों से शिखरधाम के नाम से प्रसिद्ध हैं। सावन में शिखरधाम तक कावडि़ए भी जाते हैं प्रतिवर्ष नागपंचमी पर लाखों लोग दर्शन आरती दर्शन करते हैं। यहां आवागमन के साधन उपलब्ध हैं। सावन की नागपंचमी पर श्री भीलट देव संस्थान की ओर से गांव और जिला प्रशासन के सहयोग से श्री भीलट देव का 5 दिवसीय मेला लगता है।


किन्नर को दिया था बच्चे का वरदान 
अपने पिता के वचन अनुसार बाबा भिलट देव ने नागलवाड़ी के लोगो की सेवा की। धीरे-धीरे बाबा भिलट देव की महिमा आस-पास के इलाकों में बढऩे लगी। एक दिन बाबा के दरबार में एक किन्नर आई और उसने कहा बाबा मुझे एक संतान चाहिए तब बाबा ने कहा आप किन्नर हो आपको गर्भ कैसे हो सकता है तब किन्नर जिद करने लगा तभी बाबा के उसे तथास्तु कह दिया और उस किन्नर को नौ घड़ी में नौ माह का गर्भ हो गया। कोई कुदरती मार्ग नहीं होने के कारण 
प्रसव के समय उसकी मौत हो गई। इस किन्नर की समाधी आज भी नागलवाड़ी में है। तभी बाबा भिलट देव ने श्राप दिया कि तुम्हारी जाती का कोई भी किन्नर नागलवाड़ी में रात्रि विश्राम के लिए नहीं रुकता है।

2004 में बना भव्य मंदिर - 
करीब 700 वर्ष पुराने इस मंदिर से लाखों लोगों की आस्था जुड़ी है। शिखर धाम पर भीलट देव का भव्य मंदिर गुलाबी पत्थरों से वर्ष 2004 में बनाया गया। प्रतिवर्ष नागपंचमी पर लाखों लोग दर्शन आरती दर्शन करते हैं। यहां 12 माह आवागमन के साधन उपलब्ध हैं।

कैसे पहुंचे नांगलवाड़ी - 
महाराष्ट्र के धुलिया इंदौर खंडवा खरगोन से आसानी से नागलवाड़ी शिखर धाम आया जा सकता है। गूगल मैप के जरिए भी भिलट देव की लोकेशन देखकर नागलवाड़ी शिखरधाम जाया जा सकता है। बड़वानी व खरगोन जिले की सीमा पर स्थित ग्राम नागलवाडी खरगोन से 50 किलोमीटर और बड़वानी जिला मुख्यालय से 74 किलोमीटर है, यहां आगरा-मुंबई यानी एबीरोड पर भी सेंधवा से पहले ही नांगलवाड़ी तक जाया जा सकता है।
-खरगोन से 50 किमी 
-सेगांव से 18 किमी
-बड़वानी से 74 किमी
-आगरा गुवाहाटी मार्ग से 18 किमी
-सेंधवा से 27 किमी

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