साखी - 1- गाँव गाँव हर खेत म
दर्शन कर नर नार
पल भर म दुखड़ा हरे
ई भीलट देव सरकार ।
2- राणा रेलण को अंश है
मां मैदा को लाल ।
आज गड़ चवरा उपर
यो खेली रयो कसो ख्याल ।।
मुखड़ा- झुलो रे झुलाव कसी आनंद मनाव
माता गवरा रे थारी झुळो रे झुलाव
1- दीन जो दिन आसा महादेव भनाव
रातों रात माता गवरा पड़ाव हो ..
तीन करोड़ विद्या न क कहां आजमाव ।।
माता गवरा रे ।।
2- एक दिन कहे माता कुंभ म जाउंगा
हरिद्वार म जो माता गंगा हो न्हाउंगा हो ..
नही मान भिलट माता गवरा मनाव ।।
माता गवरा रे ।।
3- माता कहे कुंभ म जादुगर आवसे
भिलट कहे चोंड़ी को काळ भैरु जासे हो ...
मुंह बोलो भाई म्हारो यो भिलट बताव ।।
माता गवरा रे ।।
4- पुड़ी एक गंगाजी म ववती ववती आव
खोली पुड़ी तो उ समझी नी पाव हो ...
माताजी क पुछांगा उज समझाव ।।
माता गवरा रे ।।
5- खोली पुड़ी ओम सोना का बाल
माता गौरा न गळ लगई लीयो लाल हो ...
राजा गंडी की माताजी छोरी रे बताव ।।
माता गवरा रे ।।
6- नगर काहुर म राणी राजल देश
बंगाळा म बड़ो कपट छळ
इनी जादु की दुनिया म पेश नहीं पाव ।।
माता गवरा रे ।।
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