करम गति टारी नाहि टरे
साखी
1- करनी बिन कथनी कथे , अज्ञानी दिन रात ।
कूकर समान भूसत फिरे सुनी सुनाई बात ।।
भजन
टेक- करम गति टारी नाहि टरे॥
1. गुरु वशिष्ट महामुनि ज्ञानी लिख -2 लगन धरे ।
सीताहरण मरण दशरथ को बन बन विपत पड़े ।
करम गति टारी नाहि टरे॥
2. कहां वहां फंद कहां वहां पारधी कहां वहां मिरग चरे ।
सीता को हर ले गयो रावण सोने की लंका जरे ॥
करम गति टारी नाहि टरे॥
3. नीच हाथ हरिशचंद्र बिकाणे बलि पाताल धरे ।
कोटि गऊ नित पुन्न करत है , नृप गिरगिट योनी धरे ॥
करम गति टारी नाहि टरे॥
4 . पांडव जिनके आप सारथी तिन पर विपति परे ।
दुर्योधन को गरब घटायों जदुकुल नास करे ।
करम गति टारी नाहि टरे॥
5 . राहु केतु और भानु चंद्रमा विधी संयोग परे ।
कहै कबीर सुणो भाई साधू , होनी तो होके रहे ।
करम गति टारी नाहि टरे॥
आपको भजन अच्छा लगा हो या कोई त्रुटि दिखाई देती हो तो कमेंट करके जरूर बताये और blog को follow जरूर करे और आपको लिखित भजन एवं वीडियो social site पर भी मिल जायेंगे तो आप हमें वहाँ भी follow कर सकते है।
YOU TUBE - भजन वीडियो
FACEBOOK - FOLLOW
INSTAGRAM - FOLLOW
TELEGRAM - JOIN
TELEGRAM GROUP - JOIN
TWITTER - FOLLOW
0 टिप्पणियाँ