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वा दिन की तदबीर / va din ki tadbir

साखी- 1- इन्द्रिय कारण सब किया

मन मांगा सो दिन

जा कारण जग जन्मिया

वाका तो कछु नही कीन्ह ।


भजन 


टेक- वा दिन की तदबीर

करो रे मनवा वा दिन की तदबीर ।


1- यम के दूत लेवण आये

नेक धरे नही धीर

मुणदर मार के प्राण रे खिंचे

ढरे नैनो से नीर ।

 करो रे मनवा वा दिन की तदबीर ।


2- भवसागर एक अगम पंथ है

नदिया बहत गम्भीर

नाव न बेड़ा लोग घनेरा

खेवट है बेपीर ।

करो रे मनवा वा दिन की तदबीर ।


3- घर की तिरिया अरधंगी हो बैठी

मात पिता सूत बीर

माल मुलुक की कौन चलावे

संग न चाले शरीर ।

करो रे मनवा वा दिन की तदबीर ।


4- लेकर डाले नरक कुंड में

व्याकुल होय शरीर

कहे कबीर अब तो चेतो

माफ होय तकसीर ।

करो रे मनवा वा दिन की तदबीर ।


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